महामना पण्डित मदनमोहनजी मालवीय महाराज गोसेवाकी प्रतिमा थे |
जनवरी सन 1928 में प्रयाग्मे त्रिवेणीको पावन तटपर ‘ अखिल भारतवर्षीय सनातन धर्मसभा ‘ का
अधिवेशन था | व्याख्यान – वाचस्पति प० दीनदयालजी शर्मा शास्त्री भी अधिवेशनमें महामनाके साथ उपस्थित थे |
महान गो भक्त हासानंदाजी वर्मा गोहत्याके विरोधमे काला कपड़ा पहने तथा मुह्पर कालिख पोते हुय्र अधिवेशनमें उपस्थित हुए |
मालावीयाजी महाराजको सम्भोधित कर गोभक्त हासानंद जी ने कहा — “गौ माता भारत तथा हिन्दुत्वाका मूल है |
आप ”गो ह्त्या” बंदी केलिये कोई ठोस योजना बनाइये |’
इसपर महमान बोले उठे — ‘ हासानन्द ! तुम मुखमे कालिख लगाकर फिर मेरे सामने आ गये |
अरे गो ह्त्या के कारण केवल तुम्हारा मुह ही काला नहीं हो रहा है, हम सब भारतावासियोंको मुखपर कालिख है |
आओ, गोरक्षण भीम! गंगाजलसे तुम्हारे मुखकी कालिमाको धो दूँ |’
महामनाने त्रिवेणीके पावन जलसे गोभक्त हासानान्दाजी के मुहकी कालिमाको धो दूँ |’
महामनाने त्रिवेणीके पावन जलसे गोभक्त हासानान्दजी के मुहकी कालिखा धो डाली तथा उसी समय त्रिवेणीका पावन गंगाजल हाथमे लेकर प्रतिजना की ‘ हम जीवनभर गोरक्षा -कोष ‘ कीस्थापना की गयी |
महामना मालवीयजी महाराज ने सन 1928 में कलकत्तामे हुए कांग्रेस के अधिवेशन में स्पष्ट कहाथा – ‘ गो माता भारतवर्षका प्राण है उसकी ह्त्या धर्मं प्राण भारत में सहन नहीं की जानी चाहिए ||
December 15, 2009 at 12:43 PM
shatamanave kaledaru Go Mate sereyolage iruvalalla…:(